दिल्ली-मुबई और बेंगलुरु जैसे शहरों में यूं ही नहीं महंगे होते जा रहे हैं घर, इस रिपोर्ट में असली वजह आई सामने
इस साल जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान आठ प्रमुख शहरों में 60 लाख रुपये तक कीमत वाले सस्ते घरों की नई आपूर्ति 38 प्रतिशत घटकर 33,420 इकाई रह गई है. इसकी वजह यह है कि बिल्डर लक्जरी यानी महंगे फ्लैट बनाने पर ध्यान दे रहे हैं.
इस साल जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान आठ प्रमुख शहरों में 60 लाख रुपये तक कीमत वाले सस्ते घरों की नई आपूर्ति 38 प्रतिशत घटकर 33,420 इकाई रह गई है. इसकी वजह यह है कि बिल्डर लक्जरी यानी महंगे फ्लैट बनाने पर ध्यान दे रहे हैं. रियल एस्टेट के आंकड़ों का विश्लेषण करने वाली कंपनी प्रॉपइक्विटी की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.
प्रॉपइक्विटी ने कहा कि सस्ते घरों की आपूर्ति घटने की वजह जमीन और निर्माण की लागत बढ़ना है. इससे सस्ते घरों का निर्माण बहुत लाभ का सौदा नहीं रह गया है. प्रॉपइक्विटी के आंकड़ों के अनुसार, देश के शीर्ष आठ शहरों में जनवरी-मार्च, 2024 के दौरान 60 लाख रुपये तक कीमत के घरों की नई आपूर्ति 33,420 इकाई रही, जो एक साल पहले की समान अवधि में 53,818 इकाई थी.
ये आठ शहर हैं - दिल्ली-एनसीआर, मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर), बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, कोलकाता, पुणे और अहमदाबाद. आंकड़ों से पता चलता है कि 2023 के कैलेंडर साल के दौरान इस मूल्य श्रेणी में नई आपूर्ति में 20 प्रतिशत की गिरावट आई और गिरावट का रुझान इस साल की पहली तिमाही में भी जारी रहा.
TRENDING NOW
FD पर Tax नहीं लगने देते हैं ये 2 फॉर्म! निवेश किया है तो समझ लें इनको कब और कैसे करते हैं इस्तेमाल
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, खुद सरकार की तरफ से आया ये पैगाम! जानिए क्या मिला इशारा
प्रॉपइक्विटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक समीर जसूजा ने कहा, ‘‘ देश के शीर्ष आठ शहरों में पेश की गई सस्ती आवासीय इकाइयों की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट आ रही है. 2023 में 60 लाख रुपये से कम कीमत के सिर्फ 1,79,103 घर पेश किए गए. यह 2022 के आंकड़े 2,24,141 इकाई से 20 प्रतिशत कम है.’’ उन्होंने कहा कि यह प्रवृत्ति 2024 में भी जारी रहने की उम्मीद है.
जसूजा ने कहा, ‘‘इस गिरावट के कई कारण हैं. रियल एस्टेट की बढ़ती कीमतें (पिछले दो वर्षों में कुछ शहरों में 50-100 प्रतिशत तक) और बढ़ती निर्माण लागत की वजह से सस्ती आवासीय परियोजनाएं रियल एस्टेट कंपनियों के लिए बहुत लाभ का सौदा नहीं रह गई हैं.’’ उन्होंने कहा कि इसके अलावा महामारी के बाद अब लोग बड़े घर चाहते हैं. इनपर उन्हें ऊंचा मार्जिन भी मिलता है.
इस रुख पर चिंता जताते हुए क्रेडाई एनसीआर, भिवाड़ी-नीमराणा के सचिव नितिन गुप्ता ने कहा कि निम्न और मध्यम आय वर्ग के लोगों के घर के सपने को पूरा करने के लिए सस्ते घरों के निर्माण को प्राथमिकता देने की जरूरत है. प्रॉपइक्विटी के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी-मार्च के दौरान मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में 60 लाख रुपये तक की कीमत वाले घरों की नई आपूर्ति घटकर 15,202 इकाई रह गई, जो एक साल पहले की समान अवधि में 22,642 इकाई थी.
पुणे में आपूर्ति 12,538 इकाइयों से गिरकर 6,836 इकाइयों पर आ गई. अहमदाबाद में नई आपूर्ति 5,971 इकाइयों से गिरकर 5,504 इकाइयों पर आ गई. हैदराबाद में यह 2,319 इकाइयों से घटकर 2,116 इकाई पर आ गई. वहीं चेन्नई में यह 3,862 से घटकर 501 इकाई पर आ गई.
बेंगलुरु में नई आपूर्ति 3,701 इकाई से घटकर 657 इकाई रही. कोलकाता में नई आपूर्ति 2,747 से घटकर 2,204 इकाई रही. हालांकि, दिल्ली-एनसीआर में 60 लाख रुपये तक कीमत के घरों की नई आपूर्ति बढ़कर 400 इकाई हो गई, जो एक साल पहले की समान अवधि में 38 इकाई थी.
03:13 PM IST